Chidiya

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एक नन्ही आफ़रीन सी चिड़ियाँ,
मेरे घर में बना रही है घर अपना,
उसके जाये मेरे आँगन में खेलते है,
उन्हें देख वो मुसल्सल उड़ती है, हस्ती है,
मैं बंद कमरे के जंगलें से उन्हें देखता हूँ,
तुझे याद करता हूँ, सोचता हूँ,
हम भी ऐसे हंस सकते थे, उड़ सकते थे|
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